|| ओम जय जगदीश हरे-पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी || भगवान विष्णु आरती ||
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ॐ
|| आरती ओम जय जगदीश हरे ||
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
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