श्रीगणेश जी की पूजा का हिन्दू धर्म का में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है, और यह बहुत ही कल्याणकारी भी है।
श्री गणेश जी के पूजन से संकट सभी दुखो का निवारण स्वयं हो जाता है, चाहे वह किसी भी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी भी कामनापूर्ति जैसे स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि इत्यादि के लिए हो।
श्री गणेश जी की पूजा अचानक से किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
अर्थात् हम सभी को अपने दुखो के निबारण एवं मनोकामना की पूर्ति के लिए श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक किसी भी योग्य व विद्वान ब्राह्मण के सहयोग से श्रीगणपति प्रभु व शिव परिवार का व्रत, आराधना व पूजन करना चाहिए।
श्रीगणेश चतुर्थी प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। श्रीगणेश जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं, इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।
श्री गणेश जी की पूजन हेतु संपूर्ण सामग्री सूचि
श्री गणेश जी के पूजन एवं स्थापना से पूर्व आप निम्नलिखित पूजन सामग्री को एकत्रित करले
पूजा के लिए निम्न लिखित सामग्रियों की आवश्यकता होती है
चौकी, लाल कपड़ा,गणेश प्रतिमा, जल कलश, फूल, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, मौली, अक्षत, जनेऊ, गंगाजल, इलाइची-लौंग, सुपारी, सिक्का, नारियल, पंचमेवा, दूध , दही , शहद , इत्र , फल, घी-कपूर,लौंग , इलायची, अबीर,गुलाल,हल्दी, पवित्री, दिया , माचिस,पान पत्ता, अगरबत्ती की व्यवस्था कर लें।
एक बात का अवस्य ध्यान रखें कि श्री गणेश जी को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके बदले आप गणपति बाप्पा को शुद्ध स्थान से चुनी हुई दूर्वा जिसे कि अच्छे तरीके से धो लिया हो, अर्पित करें।
श्री गणेश जी की संपूर्ण और सरल पूजन विधि
भगवान श्री गणेश जी की पूजन में वेद मंत्र का उच्चारण किया जाता है। पर जिन्हें वेद मंत्र न आता हो, वो नाम-मंत्रों से भी पूजन कर सकते है।
1. सबसे पहले आप स्नान करले और उसके पश्चात अपने पास पूजा सम्बंधित समस्त सामग्री रख लें फिर निम्न तरीको से शांति मन से पूजा आरम्भ करे।
2. तत्पश्चात आप पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर तीन बार निम्न मंत्र बोलकर आचमन करें।
“ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:”
3. आचमन के पश्चात आप अपने हाथ में जल लेकर श्री गणपति जी का ध्यान करते हुए ” ॐ ऋषिकेशाय नम: “
बोलकर हाथ धो लें।
4. हाथ धोने के बाद पवित्री को धारण करें, पवित्री ग्रहण करने के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और समस्त पूजन सामग्री पर जल को छिड़क ले।
5. इसके बाद निम्न मंत्र को बोलते हुए श्री गणेश जी एवं अम्बिका माता (सुपारी में मौली लपेटकर) को स्थापित करें
“ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु “
6. तत्पश्चात आप निम्न मंत्र बोलकर श्री गणेश जी एवं अम्बिका माता का आवाहन करें।
“ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:!!”
7. इसके बाद आप अपने मन में कामना-विशेष का नाम लेकर संकल्प ले लें, अर्थात
दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल एवं चावल लेकर जिस निमित्त पूजन कर रहे है उसका मन में उच्चारण करके हाथ में लिए गए वस्तु को गणेश जी के शरण में छोड़ दें।
8. अब आप अपने हाथ में चावल लेकर श्री गणेश जी और माता अम्बिका का ध्यान करें निम्न मंत्र का उच्चारण करे
श्री गणेश जी के लिए मंत्र
“ॐ भूर्भुव: स्व: सिध्दिबुध्दिसहिताय गणपतये नम:,
गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!”
माता अम्बिका के लिए मंत्र
“ॐ भूर्भुव:स्व:गौर्ये नम:,
गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!”
गौरी गणेश संपूर्ण पूजन विधि एवं मंत्र
- सबसे पहले श्री गणेश अम्बिका के आसन के लिए निचे दिए गए मन्त्र का उच्चारण करते हुए चावल चढ़ाएं
“ॐ गणेश-अम्बिके नम:आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि!”
- फिर उनके स्नान के लिए जल चढ़ाएं और निम्न मंत्र का उच्चारण करे।
“ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:स्नानार्थ जलं समर्पयामि!”
- फिर आप निचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए उनपर दूध चढ़ाए
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पय:स्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर दही चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दधिस्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर घी चढ़ाएं और और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,घृतस्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर शहद चढ़ाएं और और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,मधुस्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर शक्कर चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शर्करास्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर पंचामृत चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पंचामृतस्नानं समर्पयामि!”
आप पंचामृत दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर बना सकते है।
- फिर चंदन घोलकर उनपर चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,गंधोदकस्नानं समर्पयामि!”
- फिर आप शुद्ध जल उनपर डालकर उन्हें शुद्ध करें और कहे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शुध्दोदकस्नानं समर्पयामि!”
- फिर उनको आसन पर विराजमान करें तथा वस्त्र चढ़ाए और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,वस्त्रं समर्पयामि!”
फिर आप आचमनी जल छोड़ दें।
- उसके बाद आप उपवस्त्र (मौली) चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि!”
फिर आचमनी जल छोड़ दे।
- फिर गणेश जी को यज्ञोपवित (जनेऊ) चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाभ्यां नम:यज्ञोपवितं समर्पयामि!”
फिर आचमनी जल छोड़ दें।
- फिर आप उनको चन्दन लगाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,चंदनानुलेपनं समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर चावल चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,अक्षतान समर्पयामि!”
- फिर आप उन्हें फूल-फूलमाला चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पुष्पमालां समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर दूर्वा चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दुर्वाकरान समर्पयामि! “
- फिर सिन्दूर चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सिन्दूरं समर्पयामि! “
- फिर अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि! “
- फिर सुगंधित (इत्र) चढ़ाएं और उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सुंगधिद्रव्यं समर्पयामि! “
- फिर उन्हें धूप-दीप दिखाएं और बोले
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,धूप-दीपं दर्शयामि! “
- फिर “ऋषि केशाय नम:” बोलकर हाथ धोकर उनको नैवेद्य लगाए और कहे
“ॐ प्राणाय स्वाहा!
ॐ अपानाय स्वाहा!
ॐ समानाय स्वाहा! “
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नैवेद्यं निवेदयामि! “
- फिर उनपर आप ऋतुफल चढ़ाएं और निम्न मंत्र का उच्चारण करे
“ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,ऋतुफलानि समर्पयामि!”
- फिर आप उनपर लौंग-इलायची तथा सुपारी अर्पित करें।
- फिर आप यथा शक्ति दक्षिणा चढ़ाकर भगवान गणेश जी की आरती करें।
- फिर आप परिक्रमा करें! तत्पश्चात भगवान गणेश-अम्बिका से प्रार्थना करें!
- फिर दाहिने हाथ में जल लेकर पृथ्वी पर छोड़ दें और बोले
“अन्य पूज्य गणेशाम्बिके प्रीयेताम न मम!”
इस प्रकार श्री गणेश जी की पूजन कर अपने संपूर्ण मनोरथ पूर्ण करें।