विधा विवादाय्, धनं मदाय्, शक्तीं परेषाम् परिपीड़णाय् खलस्य़। शाधो विपरितम् एतज्ञानाय, दानाय च रक्षणाय्।। बुरे लोगों का विधा विवाद के लिए, धन घमंड के लिए और शक्ती दुसरे लोगों को
विधा विवादाय्, धनं मदाय्, शक्तीं परेषाम् परिपीड़णाय् खलस्य़। शाधो विपरितम् एतज्ञानाय, दानाय च रक्षणाय्।। बुरे लोगों का विधा विवाद के लिए, धन घमंड के लिए और शक्ती दुसरे लोगों को
|| ब्रह्मा गायत्री मंत्र || ॐ वेदात्मने विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलु धाराय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे परतत्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्म
|| अयि गिरिनन्दिनि || अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥ सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि
|| इक ओंकार || इक ओंकार सतनाम करता पुरख निर्मोह निर्वैर अकाल मूरत अजूनी सभम गुरु परसाद जप आड़ सच जुगाड़ सच है भी सच नानक होसे भी
ॐ || आरती ओम जय जगदीश हरे || ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे
|| श्री गणेश आरती || || सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची नूरवी पुरवी प्रेमा कृपा जयची सर्वांगी सुंदरा उति शेंदुराची कंठि झलके माला मुक्ताफलनि
श्री गणेश आरती जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी । माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥ जय गणेश
रघुपति राघव राजाराम- श्रीलक्ष्मणाचार्य रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥ सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम ॥ भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम ॥ जानकीरमणा सीताराम जयजय राघव सीताराम ॥
|| सरस्वती मां की आरती || ॐ जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता…॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी। सोहे शुभ हंस
श्री शनिदेव चालीसा ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।